Tuesday, April 23, 2013

गुलाबी मैना

तिलयार नाम सुनते ही रोहतक की झील (और ब्लागर मीट) याद आती है, लेकिन यह एक चिड़िया का भी नाम है। मैना परिवार की इस चिड़िया का नाम तिल्‍यर या तेलियर जैसा भी उच्‍चारित होता है। गुलाबी मैना कही जाने वाली इस चिडि़या का मधुर कन्नड़ नाम है, मधुसारिका। अंगरेजी नाम रोजी स्टारलिंग, रोजी पास्टर या रोजकलर्ड स्टारलिंग है।
नवा-नइया तालाब के आसमान पर शाम का नजारा
इनसेट में 24 मई 2000 को जारी डाक टिकट
संकरी-पेन्ड्रीडीह बाइपास मार्ग पर बिलासपुर से लगभग 15 किलोमीटर दूर बेलमुड़ी (बेलमुण्डी) गांव में नवा तालाब को घेरे, अर्द्धचंद्राकार लंबाई में फैला नइया तालाब सड़क से दिखता है। तालाब के 'पुंछा' वाले हिस्से में 'पटइता' घास है। नइया तालाब का यह भाग लाख संख्‍या में अनुमान की जाने वाली गुलाबी मैना का डेरा बना और इन तालाबों के ऊपर शाम करीब पांच बजे से साढ़े छः बजे तक आकाश में पक्षी-झुंडों की करतबी उड़ान का नजारा और उसकी चर्चा मार्च के अंतिम सप्ताह से अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक रही।

2 अप्रैल 2013 के दैनिक नवभारत, बिलासपुर में प्रकाशित सचित्र समाचार में इन पक्षियों का मूल एशिया, यूरोप, रसिया(!) और कनाडा बताया गया है। यहां डीएफओ हेमंत पाण्डे के हवाले से इन्हें ब्लैक हेडेड गुल(!?गल) कहा गया है। 6 अप्रैल 2013 के दैनिक भास्कर, बिलासपुर में सचित्र समाचार प्रकाशित हुआ, जिसमें पक्षियों को मध्य यूरोप, एशिया और कनाडा से आए तथा पक्षियों के जानकार केके सोमावार और पर्यावरण प्रेमी अनुराग शुक्ला का उल्लेख करते हुए उनके हवाले से इन्हें रोजी पेस्टर या ब्लैक हेडेड गुल प्रवासी पक्षी बताया गया।
पेड़ पर पत्तियां नहीं, चिडि़यों का झुंड है.
प्राण चड्‌ढा जी बताते हैं कि बसंत पंचमी (इस वर्ष 15 फरवरी) को आ जाती है, नवरात्रि में (इस वर्ष 18 अप्रैल तक) लौटती है। कमल दुबे जी ने अवधि फरवरी तीसरे हफ्ते से मार्च अंत तक बताई है। कुछ फोटो रमन किरण जी से मिले। गांव वालों ने बताया कि फरवरी में ही आने लगी थीं, लेकिन शिवरात्रि, 10 मार्च के आसपास बड़े झुंडों में दिखने लगीं और 10 अप्रैल तक वापसी हुई।

इस पक्षी की कुछ जानकारी पुस्तकों और नेट पर तो मिली, लेकिन इन विवरणों से उस दृश्य का अनुमान भी नहीं होता, जो यहां रहा-

यह रिकार्डिंग चि. यश, सौ. शुभदा और विवेक जोगलेकर जी ने की है।
दूसरी रिकार्डिंग कमल दुबे जी की है, लेकिन इसके पहले 35 सेकंड का हिस्सा बीत जाने दें।
एक अन्य रिकार्डिंग राजेश तिवारी जी ने लगाई है।
इन्‍हें देखकर Bezier Screensaver याद आता है।
पक्षियों से भरा तालाब अब रीता है.
बेलमुड़ी पहुंचा हूं, तालाब मौजूद है और गांव वालों में पिछले दिनों की यादें, किस्से, उसका रोमांच भी। चिड़ियों को जगह भा गई और लगता है पक्का रिश्ता बन गया है। मुझे पहुंचने में देर हो गई या शायद समय से दस-ग्यारह महीने पहले आ गया।

29 comments:

  1. पशु पक्षी बीते दिनों की बात हो जाएँगे।

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  2. जानकारी भरा जानदार और शानदार पोस्ट! व्हीडियो रेकॉर्डिंग्स ने पोस्ट को और जीवंत बना दिया है।

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  3. आज की ब्लॉग बुलेटिन बिस्मिल का शेर - आजाद हिंद फौज - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. मैना, गौरैया आदि तो गुज़ारे ज़माने की बातें हो गयीं.. यहाँ गुजरात में मेरे घर के आस पास फिर से मुझे वो सब खोया हुआ मिल गया है!!

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  5. पेड़ पर इतने पक्षी साथ साथ, कहाँ नसीब है शहर को।

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  6. वाह! अद्भुत! पोस्ट भी और विजुअल्स भी। क्या बात है! आपको और विडियोग्राफी करने वालों को भी साधुवाद और बधाई। घर बैठे चिड़ियों का अद्भुत एयर शो दिखाने के लिये, जानकारी देने के लिये।

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  7. बरसों बीत गए यह द्रश्य देखे बिना...

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  8. बरसों बीत गए यह द्रश्य देखे बिना...

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  9. एक बड़ा चित्र भी लगाना था जिससे इनकी पहचान साबित हो जाती
    ज्यादातर वन विभाग वालों को वे कहीं के भी हों यू पी बिहार एम् पी कुछ पता नहीं होता वे हाथी के बच्चे को भी गैंडा बता सकते हैं
    महानुभाव पता नहीं कैसे इसे ब्लैक हेडेड गल बता रहे हैं जबकि वह एक अलग प्रवासी पक्षी( धोमरा ) है इससे तो बिलकुल ही अलग .
    यह रोजी पेस्टर( स्टर्नस रोजियेस )ही है मगर आपके विवरण में कुछ बातें उलझन में डाल रही हैं -अच्छा बताईये ये घोसले क्या यहीं बनाती हैं ? नहीं न ? क्योकि ये पूर्वी यूरोप ,पश्चिम और मध्य एशिया की पहाड़ियों में घोसले बनाती हैं और भारत में सबसे पहले प्रवास करने वाली चिड़ियों में से एक हैं . मगर ये आती जुलाई और अगस्त में है और जाती अप्रैल में हैं ,हो सकता है वे इस क्षेत्र में वापसी यात्रा पर हों!

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    1. इन पर मेरी जानकारी किताबी ही है, लेकिन ये पंछी हमारे देश में भी होते हैं, मात्र विदेश से आने वाले प्रवासी नहीं.

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    2. यह तो प्रवासी पक्षी ही है अगर तेलियर है -कारण यह यहाँ घोसला नहीं बनाती है -या बनाती है ? यही मैंने पूछा है !कृपया बतायें !

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  11. अब तो गांवों में भी ये दृश्य ओझल होते जा रहे है !!

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  12. प्रवासी पक्षियों के निवास, भोजन, प्रजनन, और जीवन शैली का अध्ययन का आनंद आपके संग और जोगलेकर जी का सानिध्य याद आ गया .....

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  13. अरे वाह ...सुंदर पक्षी के बारे में जानकारी मिली

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  14. अद्भुत! अब आप को तो इंतज़ार करना ही होगा.विडिओस रोमांचित करते हैं.

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  15. इनका उड़ना और आकाश में तरह तरह के फ़ार्मेशन्स बनाना अदभुत दृश्य प्रस्तुत करता है।

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  16. मुझे पक्षियों से ज्यादा दिलचस्पी उनके नामों में हैं, जिन पक्षी विशेषज्ञों ने इनके नाम रखे होंगे वो जरूर कवि होंगे, मधुसारिका कितना दिलचस्प नाम है उतना ही प्यारा नाम रोजी स्टारलिंग। इस चिड़िया का सौंदर्य संस्कृत और अंग्रेजी भाषा के आभिजात्य की वजह से और निखर गया है। सुंदर पोस्ट

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  17. लाख संख्‍या में अनुमान की जाने वाली गुलाबी मैना.........बहुत सुन्‍दर।

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  18. इसको शिकारी तिल्यर और स्थानीय बोली में तेलाहरा कहा जाता,बात चार दशक पहले जब शिकार पर रोक न थी तब इनके झुण्ड जब वापसी के सूखे पेड़ पर एकत्र होने बैठते, तब छिपे शिकारी बारह बोर की गन में 6 नम्बर का छर्रा भर के दागते .दस-पन्द्रह पक्षी तो गिर जाते और घायल उड़ जाते' यकीनन वे वापस अपने देश नही पहुँचते होगे.
    अब जब फिर इतनी बड़ी संख्या में ये पंछी आ रहे है इसका अर्थ है कि उनकी संख्या और इस इलाके पर विश्वास बढ़ा है ..!

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  19. सुंदर प्रस्तुति और आलेख ..

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  20. shakuntala sharma, shaakuntalam. blogspot.comApril 25, 2013 at 12:13 PM


    मस्ती मे बतियाते हैं पहरो पन्छी प्रनयातुर परस्पर
    ऐसा लगता है जैसे हम भी इन्ही की तरह पन्छी हैं और चारे की तलाश मे इधर से उधर भाग रहे हैं अंतहीन दिशा मे-----------

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  21. सुंदर पोस्ट और सुंदर चित्र मधुसारिका के । चित्रों से मन प्रसन्न हुआ ।

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  22. बहुत ही अच्छी जानकारी है !खासकर चित्र जिस्मी चिडियाँ फ़ूलों के जैसे दीख रही हैं..शुभदा जी की रिकॉर्डिंग देखी .अद्भुत लगा .. मानो पहले से अभ्यास किये हुए करतब ये सभी हवा में उड़ते हुए मिल जुल कर दिखा रही हों!
    कितना आनंद देता है यूँ है प्रकृति के साथ जुडना.

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  23. इ-मेल पर डा. कामता प्रसाद वर्माः
    these Birds are migrated from other part of the country, and after some time these are go to another places where is favourable conditin.good information for the knowledge.

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  24. इन प्रवासियों ने यहाँ डेरा डाला.सुखद गर्व हमारे लिए

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